Detailed Notes on Shodashi
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क्षीरोदन्वत्सुकन्या करिवरविनुता नित्यपुष्टाक्ष गेहा ।
The Navratri Puja, For illustration, requires organising a sacred Room and executing rituals that honor the divine feminine, with a focus on meticulousness and devotion that's believed to convey blessings and prosperity.
Just about every struggle that Tripura Sundari fought is really a testament to her may possibly plus the protecting mother nature from the divine feminine. Her legends continue on to encourage devotion and so are integral to your cultural and spiritual tapestry of Hinduism.
The Devas then prayed to her to damage Bhandasura and restore Dharma. She is thought to acquire fought the mother of all battles with Bhandasura – some scholars are from the check out that Bhandasura took a variety of types and Devi appeared in different kinds to annihilate him. At last, she killed Bhandasura Using the Kameshwarastra.
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नौमीकाराक्षरोद्धारां सारात्सारां परात्पराम् ।
षोडशी महाविद्या प्रत्येक प्रकार की मनोकामनाओं को पूर्ण करने में समर्थ हैं। मुख्यतः सुंदरता तथा यौवन से घनिष्ठ सम्बन्ध होने के परिणामस्वरूप मोहित कार्य और यौवन स्थाई रखने हेतु इनकी साधना अति उत्तम मानी जाती हैं। त्रिपुर सुंदरी महाविद्या संपत्ति, समृद्धि दात्री, “श्री शक्ति” के नाम से भी जानी जाती है। इन्हीं देवी की आराधना कर कमला नाम से विख्यात दसवीं महाविद्या धन, सुख तथा समृद्धि की देवी महालक्ष्मी है। षोडशी देवी का घनिष्ठ सम्बन्ध अलौकिक शक्तियों से हैं जोकि समस्त प्रकार की दिव्य, अलौकिक तंत्र तथा मंत्र शक्तियों की देवी अधिष्ठात्री मानी जाती हैं। तंत्रो में उल्लेखित मारण, मोहन, वशीकरण, उच्चाटन, स्तम्भन इत्यादि जादुई शक्ति षोडशी देवी की कृपा के बिना पूर्ण नहीं होती हैं।- षोडशी महाविद्या
Worshipping Goddess Shodashi is not merely about looking for substance benefits but in addition concerning the inner transformation and realization of your self.
कामाकर्षिणी कादिभिः स्वर-दले गुप्ताभिधाभिः सदा ।
देवस्नपनं उत्तरवेदी – प्राण प्रतिष्ठा विधि
हंसोऽहंमन्त्रराज्ञी हरिहयवरदा हादिमन्त्रार्थरूपा ।
These gatherings are not only about specific spirituality but in addition about reinforcing the communal bonds through shared encounters.
यहां पढ़ें त्रिपुरसुन्दरी हृदय स्तोत्र संस्कृत में
श्रीमत्सिंहासनेशी प्रदिशतु click here विपुलां कीर्तिमानन्दरूपा ॥१६॥