Shodashi - An Overview
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ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौः: ॐ ह्रीं श्रीं क ए ऐ ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं सौः: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं
सा नित्यं रोगशान्त्यै प्रभवतु ललिताधीश्वरी चित्प्रकाशा ॥८॥
सौवर्णे शैलशृङ्गे सुरगणरचिते तत्त्वसोपानयुक्ते ।
The Devas then prayed to her to wipe out Bhandasura and restore Dharma. She's considered to obtain fought the mother of all battles with Bhandasura – some Students are in the watch that Bhandasura took many forms and Devi appeared in numerous kinds to annihilate him. Ultimately, she killed Bhandasura While using the Kameshwarastra.
The follow of Shodashi Sadhana is often a journey towards both of those pleasure and moksha, reflecting the twin mother nature of her blessings.
उत्तीर्णाख्याभिरुपास्य पाति शुभदे सर्वार्थ-सिद्धि-प्रदे ।
कैलाश पर्वत पर नाना रत्नों से शोभित कल्पवृक्ष के नीचे पुष्पों से शोभित, मुनि, गन्धर्व इत्यादि से सेवित, मणियों से मण्डित के मध्य सुखासन में बैठे जगदगुरु भगवान शिव जो चन्द्रमा के अर्ध भाग को शेखर के रूप में धारण किये, हाथ में त्रिशूल और डमरू लिये वृषभ वाहन, जटाधारी, कण्ठ में वासुकी नाथ को लपेटे हुए, शरीर में विभूति लगाये हुए देव नीलकण्ठ त्रिलोचन गजचर्म पहने हुए, शुद्ध स्फटिक के समान, हजारों सूर्यों के समान, गिरजा के अर्द्धांग भूषण, संसार के कारण विश्वरूपी शिव को अपने पूर्ण भक्ति भाव से साष्टांग प्रणाम करते हुए उनके पुत्र मयूर वाहन कार्तिकेय ने पूछा —
Chanting the Mahavidya Shodashi Mantra produces a spiritual protect around devotees, shielding them from negativity and unsafe influences. This mantra functions for a source of read more defense, encouraging men and women sustain a positive surroundings totally free from mental and spiritual disturbances.
ह्रीङ्काराम्भोधिलक्ष्मीं हिमगिरितनयामीश्वरीमीश्वराणां
श्वेतपद्मासनारूढां शुद्धस्फटिकसन्निभाम् ।
प्रणमामि महादेवीं मातृकां परमेश्वरीम् ।
वन्दे तामष्टवर्गोत्थमहासिद्ध्यादिकेश्वरीम् ॥११॥
Lalita Jayanti, a significant festival in her honor, is celebrated on Magha Purnima with rituals and communal worship activities like darshans and jagratas.
साम्राज्ञी सा मदीया मदगजगमना दीर्घमायुस्तनोतु ॥४॥